This poem is for all staying away from ther family either for theit job or studies or may be for some other reason n missing them...
माँ...............
तेरी याद आई॥
जब सूरज ने अपनी पहली किरण दिखाई तो तेरी याद आई,
जब सुबह सुबह चिडिया चेह्चकायी तो तेरी याद आई,
देखा बच्चों को स्कूल जाते हुए तो तेरी याद आई,
आ रह थी गर्मागर्म चाय की खुशबू सामने वाले घर से,
तो इस सर्दी की सुबह तेरी बहुत याद आई,
उठा रही थी एक माँ बड़े प्यार से अपने बच्चे को,
हो रहा था वो लेट जाने को स्कूल,
तो तेरी बहुत याद आई....
उस एक पल तेरी बहुत याद आई।
तेरे हाथ का वो नाश्ता,
तेरे वो प्यार भरा स्पर्श।
भूल जाता हूँ मैं हर गम तेरे आँचल पाने क बाद,
माँ तेरी बहुत याद आई..
माँ...............
तेरी याद आई॥
जब सूरज ने अपनी पहली किरण दिखाई तो तेरी याद आई,
जब सुबह सुबह चिडिया चेह्चकायी तो तेरी याद आई,
देखा बच्चों को स्कूल जाते हुए तो तेरी याद आई,
आ रह थी गर्मागर्म चाय की खुशबू सामने वाले घर से,
तो इस सर्दी की सुबह तेरी बहुत याद आई,
उठा रही थी एक माँ बड़े प्यार से अपने बच्चे को,
हो रहा था वो लेट जाने को स्कूल,
तो तेरी बहुत याद आई....
उस एक पल तेरी बहुत याद आई।
तेरे हाथ का वो नाश्ता,
तेरे वो प्यार भरा स्पर्श।
भूल जाता हूँ मैं हर गम तेरे आँचल पाने क बाद,
माँ तेरी बहुत याद आई..