Tuesday, June 23, 2009

माँ.....


This poem is for all staying away from ther family either for theit job or studies or may be for some other reason n missing them...
माँ...............
तेरी याद आई॥
जब सूरज ने अपनी पहली किरण दिखाई तो तेरी याद आई,
जब सुबह सुबह चिडिया चेह्चकायी तो तेरी याद आई,
देखा बच्चों को स्कूल जाते हुए तो तेरी याद आई,
आ रह थी गर्मागर्म चाय की खुशबू सामने वाले घर से,
तो इस सर्दी की सुबह तेरी बहुत याद आई,
उठा रही थी एक माँ बड़े प्यार से अपने बच्चे को,
हो रहा था वो लेट जाने को स्कूल,
तो तेरी बहुत याद आई....
उस एक पल तेरी बहुत याद आई।
तेरे हाथ का वो नाश्ता,
तेरे वो प्यार भरा स्पर्श।
भूल जाता हूँ मैं हर गम तेरे आँचल पाने क बाद,
माँ तेरी बहुत याद आई..

18 comments:

अजय कुमार झा said...

दीपिका जी,

ब्लॉग्गिंग की इस अनोखी दुनिया में स्वागत है..माँ पर सुन्दर रचना लिखी आपने .....लिखती रहे...

Shashi Kant Singh said...

"Maa"........
Teri yad aai....
sach-much bahut achchhi rachana hai aapki.
shubhakamnaoo k sath swagat hai aapka

Shashi Kant Singh
KiiT university
Bhubaneswar

Bhawna Kukreti said...

maa se judi yaad ki kavita achhi lagi , kabhi mere blog par aa kar dekhiyega......aapka swagat hai

नवनीत नीरव said...

achchha prayas.
Navnit Nirav

डॉ महेश सिन्हा said...

शुभम

Unknown said...

maa jaisee pyaari
maa jaisee sundar
maa jaisee mahaan
____________________umda kavita
badhaai !

Gaurav Kanoongo said...

आपकी कविता "माँ" बहुत अच्छी लगी, और लिखती रहें।

पूनम श्रीवास्तव said...

Deepika ji,
bahut bhavanatmak kavita likhi hai ma par ....hardik badhai.word varification hata den to tippanii dena asan rahegaa.
Poonam

अर्कजेश said...

हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है । मां के प्रति अपनी भावनाओं को आपने बखूबी व्यक्त किया है ।

Word verfication हटा दीजिये तो अच्छा रहेगा ।

manoj said...

दीपिका जी,

ब्लॉग्गिंग की इस अनोखी दुनिया में स्वागत है, अपने चिठ्ठो को बाखूबी ताराशिये ओर अपने से संबाद करे उतेजना मिलेगी

Unknown said...

Swagat hai
kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com

कृषि समाधान said...

A very nice poem on equally beautiful subject.
Avatar Meher Baba Ji Ki Jai
Chandar Meher
avtarmeherbaba.blogspot.com
lifemazedar.blogspot.com

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

भूल जाता हूँ मैं हर गम तेरे आँचल पाने क बाद,
माँ तेरी बहुत याद आई..

दीपिका जी,
यह पक्तियॉ हम सभी के जीवन का सार होना ही चाहिए। आपने बेहररीन बाते लिखि जो अच्छी लगी।

मुम्बई टाईगर

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

ma jaisi koi nahi.narayan narayan

dweepanter said...

ब्लॉग्गिंग की दुनिया में स्वागत है...

Anonymous said...

सुन्‍दर। शुभकामनाएँ।
वर्ड वेरिफिकेशन की व्यवस्था हटा दीजिये .
.इससे अनावश्यक समय नष्ट होता है

Deepika said...

aap sabhi ka tahe dil se shukriya..
aage bhi aapko apni kavitaon se manoranjit karne ka prayaas rahega mera

राजेंद्र माहेश्वरी said...

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